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टाइम मैनेजमेंट – समय प्रबंधनटाइम
- June 9, 2023
- Posted by: Ajay Kumar Pandey
- Category: 'कर्म ही पूजा है'
प्रतिदिन की योजनाएं बनायें और उसका पालन करें Create a Daily Plan & follow it
भिन्न-भिन्न कार्यों को करने के लिए लगाये गए समय और उनको करने के क्रम को सोच-विचार कर व्यवस्थित करना समय प्रबंधन (time management) कहलाता है। समुचित समय प्रबंधन से दक्षता मिलती है, उत्पादकता बढ़ती है और कार्य सही समय पर पूरे होते हैं। समय प्रबंधन के लिए स्वयं का मूल्यांकन करें.
समय के पास इतना समय कहां की वो, आपको दोबारा समय दे सके
समय प्रबंधन का सबसे अच्छा तरीका डायरी लिखना है। डायरी में आप रोज की बाते लिख सकते हैं। इससे आपको यह पता चलेगा कि आप अपना समय कहाँ लगाते हैं। कितना समय महत्वपूर्ण कार्यों में और कितना बेकार के कार्यों को देते हैं। किसी भी कार्य को करने के लिए योजना बनाएँ और सभी कार्यों को योजनाबद्ध तरीके से करे। कार्यों की योजना बनाते वक्त महत्वपूर्ण काम को प्राथमिकता दे। योजना का आंकलन भी करते रहे। यह ध्यान रखे की गलती से ही आप सीखते हैं। लेकिन वही गलती ना दोहराए।
अच्छा समय प्रबंधन बेहतर काम करने के लिए सक्षम बनाता है। जिसके कारण आप कम समय में अधिक काम कर सकते हैं। अपने समय का सही प्रबंधन करना आपको सफल बनाने में मदद करता है। यानी अगर आप समय का सही प्रबंधन करना सीख जाए। तब यह आपके लिए उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। समय का सही प्रबंधन करने का मतलब है कि अपने समय में महत्वपूर्ण कार्यों को प्राथमिकता देना है और बेकार के काम से समय बचाना।
आर्थिक लक्ष्य बनाएँ
यदि आपके पास समय है, लेकिन कोई लक्ष्य ही नहीं है। तब ऐसे में आपका पूरा समय बेकार के कामों में बर्बाद होगा। इसलिए ऐसे लोग कभी सफल नहीं होते हैं। अगर आप सफल होना चाहते हैं। तब आपके पास एक लक्ष्य होना जरूरी है। क्योंकि लक्ष्य ना होने से आपको यही नही पता होता है कि आप जाना कहाँ चाहते हैं। जैसे अगर आप किसी यात्रा के लिए जा रहे हैं। तब आपको यह जरूर पता होना चाहिए कि आप कहाँ जाना चाहते हैं। तभी आप अपनी मंजिल तक पहुंच पाएंगे। लेकिन अगर पता नहीं होगा। तब आप अपनी मंजिल का दिशा भी तय नहीं कर पाएंगे और आप भटक जाएंगे। ऐसे ही लोगों को असफलता प्राप्त होती है।
लक्ष्य भी दो तरह के होते हैं। पहला सामान्य लक्ष्य और दूसरा निश्चित लक्ष्य होता है। सामान्य लक्ष्य कुछ इस तरह के होते हैं। जैसे; मैं और अधिक मेहनत करुंगा, मैं और अधिक पढूंगा, मैं अभी पढूंगा, मैं अपनी योग्यता बढ़ाऊंगा, कार्यकुशलता बढ़ाऊंगा इत्यादि। जबकि निश्चित लक्ष्य कुछ इस तरह के होते हैं। जैसे; मैं हर दिन चार घंटे पढूंगा, मैं आठ घंटे काम करूंगा, मैं Teacher बनूँगा इत्यादि। निश्चित लक्ष्य स्पष्ट होता है कि हमें क्या और कैसे करना है। लक्ष्य जितने ज्यादा स्पष्ट होगा। सफल होने की संभावना भी ज्यादा होगी।
Note:- आपका एक लक्ष्य जरुर होना चाहिए। जिस पर अपना कीमती समय Invest कर सके।
निश्चित समय पर काम करे।
जिस तरह एक व्यवस्थित जीवन हमारा बहुत सारा समय बचाता है। उसी तरह निश्चित समय पर काम करने की आदत भी बहुत सारा समय बचा सकता है। जब आप निश्चित समय पर काम करने की आदत बना लेते हैं। तब आपका शरीर भी उसी अनुसार ढल जाता है। जैसे अगर आप हर दिन रात 10 बजे सोते हैं। तब उसी समय आपको अपने आप नींद आने लगता है। ऐसा सिर्फ सोने में नहीं, बल्कि किसी भी कार्य में होता है। इसलिए अगर सभी कार्य को एक निश्चित समय पर शुरू करे। तब बाद में उसी समय पर आप खुद व खुद करना शुरू कर देंगे।
सुबह जल्दी उठे
“माँ – बाप की सेवा कर लो तुम सुबह शाम, घर बैठे ही मिल जायेंगे, तुमको चारों धाम।”
“गरीब माँ बाप की झोपड़ी में पांच औलाद तो समा जाती हैं, लेकिन पांच अलादों में बड़े बड़े घर में बूढ़े माँ बाप नहीं समां पाते।”
“भगवान से पहले माँ बाप हैं, क्योंकि भगवान दुःख दर्द दोनों देते हैं पर माँ बाप सिर्फ सुख देते हैं।”
क्या माता-पिता को बच्चों को समय का प्रबंधन करने में मदद करनी चाहिए?
यह महत्वपूर्ण है कि बच्चे सीखें कि अपने समय का प्रबंधन कैसे करें क्योंकि इससे उन्हें भविष्य में बड़े, अधिक जटिल कार्यों को करने में मदद मिलेगी। अपने बच्चों को अपने लिए लक्ष्य निर्धारित करने में मदद करें और फिर उन्हें छोटे, प्राप्त करने योग्य कार्यों में विभाजित करें।
अपने बच्चों को अच्छे संस्कार, अच्छी सेहत देने और उनसे भावनात्मक जुड़ाव का सबसे आसान तरीका है फैमिली ईटिंग, यानी परिवार के सभी सदस्य साथ बैठकर खाना खाएं। अगर दोनों टाइम संभव नहीं, तो कम से कम दिन में 1 बार सभी लोगों को साथ बैठकर जरूर खाना खाना चाहिए।
क्या आप सुबह देर तक सोते रहते हैं? यदि हाँ! तब यकीन मानिए आप अपना बहुत सारा समय बर्बाद कर रहे हैं। कुछ लोग कहेंगे कि हम तो देर रात तक अपना काम करते हैं या पढ़ते हैं। जिसके कारण देर रात को सो पाते हैं और इसके फलस्वरूप सुबह देर तक सोते हैं। सुबह के समय के जगह रात के समय का उपयोग करते हैं। इससे समय कैसे बर्बाद हुआ? रात में सोने के जगह सुबह सोता हूँ। तब आपके जानकारी के लिए बता दें कि अगर आप सुबह देर से उठते हैं। तब आप सिर्फ सुबह का समय ही नहीं बर्बाद करते, बल्कि आपका पूरा दिन खराब जाता है। कैसे?
जब आप सुबह देर तक सोते हैं। तब आपका सिरदर्द करने लगेगा। जिसके कारण आपका पूरा दिन बकवास हो सकता है। देर से उठने के कारण पेट भी खराब हो जाता है। साथ में इससे आप दिनभर आलस्य जैसा महसूस करते हैं। जिसकी वजह से दिनभर आपका मन किसी भी कार्य में सही से लगेगा। लेकिन अगर आप सुबह जल्दी उठते हैं। तब आप खुद को तरोताजा महसूस करते हैं। रात के वातावरण में की मात्रा कम होती है। जबकि सुबह के समय ऑक्सीजन से भरपूर होता है। इस समय हम किसी भी कार्य को आसानी से कर सकते हैं।
यही वह समय हैं। जो अधिकांश लोगों का Prime Time होता है। इस वक्त बाकी समय के मुकाबले तेजी से कार्य सम्पन्न होता है। साथ ही आप पूरे दिन ऊर्जा से भरपूर महसूस करते हैं। सुबह उठने का सही समय सुरज उगने के एक-दो घंटे पहले होता है। यह बात याद रखे। जो जल्दी सोता है, जल्दी उठता है, उसी के पास स्वास्थ्य, बुद्धि और पैसा होता है।
परिणाम पर ध्यान दे।
आप कितना समय काम करते हैं। यह महत्वपूर्ण नहीं है। क्योंकि अगर आप किसी काम को 2 घंटे में कर सकते हैं। लेकिन फिर भी उस काम करने में 5 घंटे का समय लगाते हैं। तब यह भी समय की बर्बादी है। जिसमें आप 3 घंटे का समय बर्बाद कर रहे हैं। अक्सर नौकरी करने वाले लोग ऐसा ही करते हैं। क्योंकि उन्हें ज्यादा काम करने से मतलब नहीं होता है, बल्कि मतलब होता है कि कितनी देर तक किया है। लेकिन सफल व्यक्ति का ध्यान हमेशा परिणाम पर केंद्रित होता है। तभी तो ये सफल होते हैं। क्योंकि ज्यादा देर तक काम करने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। बल्कि इससे सिर्फ बहुत ज्यादा समय बर्बाद होता है।
वहीं अगर आप परिणाम पर केंद्रित करेंगे। तब आप अपने क्षेत्र में तरक्की करेंगे। चाहे कोई भी क्षेत्र हो। जैसे: किसी कर्मचारी को उसके बॉस सात दिन की डेडलाइन के साथ एक काम सौंपता है। अब अगर वह कर्मचारी उस काम को 2 दिन में ही अच्छे से पूरा कर देता है। तब वह अपने बॉस के नजर में ज्यादा ऊपर उठ जाता है। उसने इतना कम समय में सही परिणाम दिया इसके लिए उसकी पुरस्कार दे सकते हैं या तरक्की (Promotion) कर सकते हैं। इसलिए कहा जाता है कि यह महत्वपूर्ण नहीं कि आपने कितना समय काम किया है, बल्कि महत्वपूर्ण तो परिणाम है। इसलिए ज्यादा देर तक करने के बजाय परिणाम पर ध्यान दे।